बेगर्ज़ अमल दीन की रोशनी मै "ईमान के दायरे मे मुसलमानों को कोई अच्छा काम करते रहना चाहिये इनफ़िरादी तोर पर हो या इजमाई बहरहाल इंसानियत की फलाह ओ बहबुद के लिए ज़रूर कुछ करते रहना चाहिए काम मूनज़म तरीके से हो मुसलसल हो असबाती अंदाज़ मे हो की जहां किसी भी दीगर अफराद से किसी तरह का कोई टकराव पेश न आए खास कर सियासी मज़हबी (मसलकी)कोई भी मज़हब व सियासत को मोज़ू ए सुखन ना बनाए बस एक ही मकसद हो की हम से हमारा रब हर हाल मे राज़ी होजाये और एक खूबसूरत माशरा तशकिल पाए" !👍
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Fikre Deen
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"अस्सलामो आलेकुम, Youth MinhaJ U To H "हर इंसान को ज़िंदगी मे कोई अच्छा काम करना चाहिए खास कर एक मुसलमान को । यूं तो आते है दुनिया मे सब लोग मरने के लिए लेकिन मोत उस की है जिस का ज़माना अफसोस करेदोस्तों आज के दोरए फ़ितन मे एक आम इंसान बड़ी मेहनत से अपने अहलो अयाल की ज़िंदगी को सावरने की कोशिश मे लगा रहता है और चाहता है की उस की औलाद आला तालिम से मालामाल tहोजाय और कोई मक़ाम हासिल करे चूंकि जदीद तालिम महंगी ओर मुश्किल है इस बिना पर आवाइल दोर 3 से 10 साल का जो होता है वो इल्मे दिन सीखने का होता है वो उस वक़्त सही दर्स हासिल नहीं कर पता है और सिर्फ काम चलाऊ दीन ही ले पता है नमाज़ वज़ू गुसल रोज़ा तक ज्यादा हुआ तो क़ुरान तक तो होता ये है की दीने इस्लाम का सारा इल्म अरबी या उर्दू मे है ओर इन ज़बानों तक उस की रसाई है नहीं तब वो अधूरे इल्म के सहारे ही आगे का सफर ते करता है दूसरा उस को महोल भी मयस्सर नहीं अब या तो वो गुमराह होगा या वो इंटरनेट से अपनी तलब हासिल करेगा वहाँ उस को ज्यादा खतरा है क्यू की वो सही और गलत की तमीज़ नहीं जनता है तो या तो वो सही (मिनहाज ) हासिल करले गा या पूरा