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Showing posts from October, 2020

फ्रांस में एक दिन में 49 और इटली में 31 हजार केस, बेल्जियम में सोमवार से कर्फ्यू लगेगा

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दुनिया में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 4.58 करोड़ से ज्यादा हो गया है। 3 करोड़ 32 लाख 37 हजार 845 मरीज रिकवर हो चुके हैं। अब तक 11.93 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। यूरोपीय देश संक्रमण की दूसरी लहर से सहम गए हैं। फ्रांस में शुक्रवार को फिर एक दिन में करीब 50 हजार मामले सामने आए। इटली में संक्रमण की दूसरी लहर भी जानलेवा साबित हो रही है। यहां 24 घंटे में 31 हजार मामले सामने आए। बेल्जियम सरकार ने दबाव के आगे झुकने से इनकार कर दिया है। उसने कहा है कि सोमवार से लॉकडाउन लगाया जाएगा। फ्रांस में मुश्किल जारी फ्रांस में सरकार ने लॉकडाउन लगाया। इसके बावजूद यहां संक्रमण कम होता नजर नहीं आता। हालांकि, हेल्थ मिनिस्ट्री ने उम्मीद जाहिर की है कि इसे जल्द काबू में लाया जा सकेगा। लॉकडाउन और प्रतिबंधों का असर अगले कुछ दिनों में देखने मिल सकता है। फ्रांस में शुक्रवार को 49,215 नए केस दर्ज किए गए। इसी दौरान 256 संक्रमितों की मौत हो गई। अब तक यहां कुल 36 हजार 565 लोगों की मौत हो चुकी है। कुल मामले 13 लाख 31 हजार 984 हैं। पेरिस के एक हॉस्पिटल में

‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी बातों से निवेश को पुनर्जीवित नहीं कर सकते, यह वैश्विक निवेशकों को दूर धकेलेगा

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भारत में व्यवसायों और उपभोक्ताओं के आगे बढ़ने की इच्छा और प्रयासों की अहमियत कहीं और की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है। भारत एक वर्क इन प्रोग्रेस देश है, जहां हर नया संस्करण पिछली की तुलना में बेहतर रहा है। भारत अपने आप में 1.4 अरब सपनों और आकांक्षाओं का मेल है। ऐसे में सरकार की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि निष्पक्ष शासन प्रदान करना और सबकी प्रगति का रास्ता बनाना उसकी ज़िम्मेदारी है ताकि तरक्की की संभावनाएं कभी खत्म न हों। एक अच्छी आर्थिक बुनियाद की सुंदरता यह होती है कि सभी हितधारक (उपभोक्ता, व्यवसाय और सरकार) भले ही भिन्न-भिन्न उद्देश्यों के लिए काम करते हों परंतु एक-दूसरे पर निर्भरता उन्हें एक टीम बनकर काम करने के लिए मजबूर करती है। एक राष्ट्र के रूप में हमने 1991 में अपनी अर्थव्यवस्था को खोलने का फैसला किया था। इधर हाल ही में लोकल के लिए वोकल और ‘आत्मनिर्भर इकोनॉमी’ पर मुखर बयानबाजी ने हमें मूल्यांकन करने के लिए मजबूर किया है और क्योंकि यह पहली बार है जब हम दुनिया को हम अपनी अर्थव्यवस्था के बारे में ऐसा संदेश भेज रहे हैं जो वैश्विक खिलाड़ियों के लिए पहले के समान खुल

यूएई में सड़कों से लेकर कारखानों तक बिहार चुनाव की चर्चा, यहां रह रहे बिहारी चाहते हैं राज्य में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बने

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(शानीर एन सिद्दीकी) इस वक्त हम मौजूद हैं दुबई के यूपी एन बिहार रेस्त्रां में। यहां गेट पर खड़े युवक नीतीश और तेजस्वी की जीत-हार का हिसाब-किताब लगा रहे हैं। इसी तरह की चर्चाएं यूएई की सड़कों से लेकर कारखानों तक आम हैं। एक अनुमान के मुताबिक, यहां बिहार के 5 लाख लोग काम करते हैं। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि हर साल वर्क वीसा पर बिहार से 70 हजार लोग यहां आते हैं और ये लोग बिहार की इकोनॉमी में सालाना दो हजार करोड़ रुपए का योगदान देते हैं। विदेश में रहने वालों का डेटा रखा जाए दुबई में इंजीनियरिंग कंपनी सिवान टेक्निकल कॉन्ट्रैक्टिंग और यूपी एन बिहार रेस्त्रां के मालिक अनुज सिंह भी नई सरकार से उम्मीदें लगाए बैठे हैं। वे बताते हैं कि उनकी नई सरकार से मांग है कि विदेशों में रह रहे लोगों का डेटा रखा जाए। इसके लिए नीतीश सरकार ने बिहार फाउंडेशन के तहत एक अच्छी शुरुआत की थी, पर यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी। वहीं, आयल एंड गैस इंजीनियर नवीन चंद्रकला कुमार बताते हैं कि बिहार से आने वाले ब्लू कॉलर वर्कर की तीन सबसे बड़ी जरूरत सावधानी, सुरक्षा और सहायता है। वे कहते हैं कि एक राज्य से हर साल लाखों लोग काम करने

ट्रम्प के दौर में अमेरिका ने अपना सम्मान खो दिया, उनकी फैमिली सेपरेशन पॉलिसी बहुत क्रूर रही

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ये कैटलॉग तैयार करना भी बेहद मुश्किल काम है कि डोनाल्ड ट्रम्प के चार साल राष्ट्रपति रहने के दौरान हमने क्या-क्या गंवाया। जब मैं इन बातों को लिख रहा हूं तब तक कोरोनावायरस के चलते 2 लाख 25 हजार अमेरिकी नागरिक मौत का शिकार बन चुके हैं। महीनों से हमारे यानी अमेरिकी बच्चे स्कूल नहीं गए हैं। बहुत जल्द देश का बड़ा हिस्सा थैंक्सगिविंग भी सेलिब्रेट नहीं कर पाएगा। बच्चों को परिवार से जुदा कर दिया ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने क्रूर फैमिली सेपरेशन पॉलिसी बनाई। बहुत मुमकिन है कि इसका शिकार बने 545 बच्चे अब कभी अपने पैरेंट्स से न मिल पाएं। अग्रणी लोकतंत्र के तौर पर अमेरिका अपना रुतबा और सम्मान खो चुका है। हमने सुप्रीम कोर्ट की जज रूथ बेंदर गिन्सबर्ग को खोया। सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद यह पहला मौका जब इतने अमेरिकियों ने नौकरियां गंवाईं। इनके साथ उन सांस्कृतिक घटनाओं को हुआ नुकसान भी जोड़ लीजिए, जो ट्रम्प के दौर में हुआ। पिछले चार साल का अनुभव जब मैं पिछले चार साल अपनी तरह से देखता हूं तो उसमें ऐसा लगता है कि जैसे इस प्रेसिडेंट का दौर किसी ब्लैकहोल की तरह रहा। अपनी तरह के और अलग नुकसान हुए। हर वक्त यह म

मुंबई में मास्क नहीं लगाया तो लगाना पड़ेगी झाड़ू; तुर्की में भूकंप से तबाही; गुड़गांव के फोर्टिस हॉस्पिटल में रेप

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नमस्कार! अमेरिका में हर सेकंड एक से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हो रहे हैं। भारत की तुलना में संक्रमण की यह रफ्तार दोगुनी है। बहरहाल, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ... सबसे पहले देखते हैं, बाजार क्या कह रहा है… BSE का मार्केट कैप 157 लाख करोड़ रुपए रहा। BSE पर करीब 46% कंपनियों के शेयरों में गिरावट रही। 2,751 कंपनियों के शेयरों में ट्रेडिंग हुई। इसमें 1,319 कंपनियों के शेयर बढ़े और 1,271 कंपनियों के शेयर गिरे। आज इन इवेंट्स पर रहेगी नजर IPL में आज डबल हेडर मुकाबले। पहला मैच दिल्ली और मुंबई के बीच दोपहर साढ़े तीन बजे से दुबई में होगा। दूसरा मैच बेंगलुरु और हैदराबाद के बीच शाम साढ़े सात बजे से शारजाह में होगा। महाराष्ट्र में आज लॉकडाउन को लेकर नई गाइडलाइन जारी हो सकती है। गुरुवार को राज्य में 30 नवंबर तक लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान किया गया था। प्रधानमंत्री मोदी आज साबरमती से स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के बीच सी-प्लेन सर्विस का उद्घाटन करेंगे। देश-विदेश चुनाव आयोग ने कमलनाथ से स्टार प्रचारक का दर्जा छीना चुनाव प्रचार के दौरान आचार संहिता के उल्लंघन के लिए चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश

मुझसे तेजस्वी को क्या खतरा होगा, उनके माता-पिता सीएम रहे हैं, मेरी मां आंगनबाड़ी में पढ़ाती हैं

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कन्हैया कुमार इस विधानसभा चुनाव मे ज्यादा प्रचार नहीं कर रहे हैं। वो ज्यादातर समय बेगूसराय के अपने घर में रहते हैं और आसपास की कुछ विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने चले जाते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में चर्चा का केंद्र रहे और इस चुनाव में होने वाली चर्चाओं से खुद को बाहर रखने वाले कन्हैया से हमारी मुलाकात बेगूसराय में उनके घर पर हुई। हमने उनसे चुनाव और राजनीति पर सवाल-जवाब किए... 2019 के लोकसभा चुनाव में आप स्टार कैंडिडेट थे, एक साल बाद हो रहे इस विधानसभा चुनाव से आप बाहर क्यों है? नहीं। चुनाव से हम बाहर नहीं हैं। चुनाव में होने का मतलब उम्मीदवार होना ही नहीं होता है। बतौर मतदाता भी आप चुनाव में होते हैं। हम तो मतदाता से आगे बढ़कर और जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं। कई जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं। प्रचार कर रहे हैं। जन संपर्क कर रहे हैं। सभाएं कर रहे हैं। पार्टी ने जो जिम्मेदारियां दी हैं, वो निभा रहे हैं। चुनाव से बाहर रहने से मेरा मतलब है कि आप उतनी रैलियां नहीं कर रहे हैं, जितनी आप कर सकते हैं? पहले चरण के चुनाव में हमने जरूर कोई बड़ी सभा नहीं की, लेकिन दूसरे च

लड़की ने इनकार क्या किया, मर्द का इगो सांप जैसा फुफकारता है, फिर उसे कुचलने की कवायद शुरू होती है

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हाल ही में हरियाणा में एक लड़की को सरेबाजार गोली मार दी गई। वजह- लड़की ने युवक का प्रेम-निवेदन अस्वीकार कर दिया था। निकिता, जो IAS बनने का ख्वाब देख रही थी, उसके ख्वाब को तौफीक ने भरी सड़क बेरहमी से कुचल दिया। तौफीक के एकतरफा प्यार के बारे में दोनों का ही पूरा घर जानता था, लेकिन किसी ने तौफीक को भरे बाजार बेइज्जत नहीं किया, कस के तमाचा मारना तो दूर की बात है। निकिता अकेली नहीं। ऐसी हजारों-लाखों लड़कियां रोज सड़क पर इस खतरे के साथ निकलती हैं कि कहीं किसी मर्द की नजर उन पर पड़े और वो उसे पसंद न कर ले। पसंद करते ही शुरू होता है इजहार और इनकार का खेल। लड़की ने जरा इनकार क्या किया, मर्दों का इगो कांच की तरह झन्न करके टूट जाएगा। आखिर वो खुद को समझती क्या है? ऐसे कौन से सुर्खाब के पर लगे हैं? चोटिल इगो को मर्द के यार-दोस्त और उकसाते हैं। अरे, कहीं किसी और के साथ तो लफड़ा नहीं चल रहा! कल खूब बन-ठनकर कहीं गई थी। इगो सांप की तरह फुफकार मारता है और फिर लड़की को कुचलने की तमाम कवायद चल पड़ती है। जिस चेहरे पर इतरा रही है, उसे ही खत्म कर देते हैं। कहीं की न रहेगी और ये लीजिए, तुरंत एसिड की बोत

मुंबई में गार्ड को देख तय किया, गांव लौट खेती करूंगा; अब सालाना टर्नओवर 25 लाख रुपए

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औरंगाबाद के बरौली गांव के रहने वाले अभिषेक कुमार मुंबई में एक मल्टीनेशनल कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर थे। अच्छी-खासी सैलरी थी। सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन अचानक उन्होंने शहर से गांव लौटकर खेती करने का प्लान बनाया। 2011 में गांव लौट आए। आज वो 20 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे हैं। धान, गेहूं, लेमन ग्रास और सब्जियों की खेती कर रहे हैं। दो लाख से ज्यादा किसान देशभर में उनसे जुड़े हैं। सालाना 25 लाख रुपए का टर्नओवर है। 33 साल के अभिषेक की पढ़ाई नेतरहाट स्कूल से हुई। उसके बाद उन्होंने पुणे से एमबीए किया। 2007 में HDFC बैंक में नौकरी लग गई। यहां उन्होंने 2 साल काम किया। इसके बाद वे मुंबई चले गए। वहां उन्होंने एक टूरिज्म कंपनी में 11 लाख के पैकेज पर बतौर प्रोजेक्ट मैनेजर ज्वाइन किया। करीब एक साल तक यहां भी काम किया। 2016 में पीएम मोदी ने अभिषेक को कृषि रत्न सम्मान से नवाजा था। अभिषेक कहते हैं, 'मुंबई में काम करने के दौरान मैं वहां की कंपनियों में तैनात सिक्योरिटी गार्ड से मिलता था। वे अच्छे घर से थे, उनके पास जमीन भी थी, लेकिन रोजगार के लिए गांव से सैकड़ों किमी दूर वे यहां जैसे-तैसे गुजारा कर र

अब आप-हम भी खरीद सकते हैं कश्मीर में जमीन; आइए समझते हैं कैसे?

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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 26 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के कानूनों में बड़े बदलाव किए। पिछले साल 5 अगस्त को बने इस नए केंद्र शासित प्रदेश के लिए पांचवां ऑर्डर जारी किया। इसने राज्य के 12 पुराने कानून खत्म कर दिए। साथ ही 14 कानूनों में बदलाव किया। पूरे देश में इस फैसले को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की सफलता माना जा रहा है, वहीं कुछ लोग जम्मू-कश्मीर के ऐतिहासिक जमीन सुधार कानून को रद्द करने की आलोचना भी कर रहे हैं। दरअसल, पूरे भारत के लिए यह फैसला जितना साफ-सुथरा दिख रहा है, वह वैसा है नहीं। इससे जम्मू-कश्मीर में बाहरी लोगों को भी जमीन की खरीद-फरोख्त करने का अधिकार मिल गया है। गृह मंत्रालय का आदेश क्या है? केंद्र सरकार ने पिछले साल संविधान के आर्टिकल 370 और 35A को रद्द किया और जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बनाया था। आर्टिकल 35A यह गारंटी देता था कि राज्य की जमीन पर सिर्फ उसके स्थायी निवासियों का हक है। अब आर्टिकल 35A तो रहा नहीं, लिहाजा नए आदेश से जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने का रास्ता सबके लिए खुल गया। जम्मू-कश्मीर के चार कानून ऐसे थे, जो स्थायी निवासियों यानी परम

इंदिरा गांधी की हत्या और उसके बाद के भयावह 12 घंटे; सरदार पटेल का जन्मदिन भी

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इतिहास में आज के दिन से अच्छी और बुरी दोनों तरह की यादें जुड़ी हैं। एक तो भारत को आकार देने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्मदिन है। वहीं, आयरन लेडी यानी इंदिरा गांधी की हत्या का दिन भी यही है। बात 36 साल पुरानी है। 1984 में 30 अक्टूबर को ओडिशा में चुनाव प्रचार से उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी दिल्ली लौटी थीं। उन पर एक डॉक्युमेंट्री बनाने पीटर उस्तीनोव आए हुए थे। 31 अक्टूबर को मुलाकात का वक्त तय था। सुबह 9 बजकर 5 मिनट पर इंटरव्यू की तैयारी पूरी हो चुकी थी। इंदिरा बाहर निकलीं। सब-इंस्पेक्टर बेअंत सिंह और संतरी बूथ पर कॉन्स्टेबल सतवंत सिंह स्टेनगन लेकर खड़ा था। इंदिरा ने आगे बढ़कर बेअंत और सतवंत को नमस्ते कहा। इतने में बेअंत ने .38 बोर की सरकारी रिवॉल्वर निकाली और इंदिरा गांधी पर तीन गोलियां दाग दीं। सतवंत ने भी स्टेनगन से गोलियां दागनी शुरू कर दीं। एक मिनट से कम वक्त में स्टेनगन की 30 गोलियों की मैगजीन खाली कर दी। साथ वाले लोग तो कुछ समझ नहीं सके। उस समय पीएम आवास पर खड़ी एंबुलेंस का ड्राइवर चाय पीने गया हुआ था। कार से इंदिरा गांधी को एम्स ले गए। शरीर से लगातार खून बह रहा था।

बच्चों पर रिजल्ट का बोझ न डालें, दूर की सोचने को कहें; जानिए मोटिवेशन के क्या फायदे हैं

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​​​​ लीसा डैमऑर. कोरोना के चलते इस साल बच्चों की पढ़ाई आधी-अधूरी ही हुई है। बच्चे करीब 8 महीने से घर पर ही हैं। बच्चों का एकेडमिक मोटिवेशन लेवल बहुत कम हो गया है। अब जरूरत उन्हें नए तरीके से मोटिवेट करने की है, लेकिन क्या आप उन्हें ज्यादा पढ़ाई और ज्यादा नंबर लाने के लिए मोटिवेट करने वाले हैं? यदि हां तो ऐसा बिल्कुल मत करिएगा, क्योंकि यह खतरनाक हो सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना की वजह से जीने का तौर-तरीका बदला है। आप भी खुद को बदलें। परंपरागत तौर-तरीकों से बाहर आएं। बच्चों की सोच को समझने की कोशिश करें। मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक, मोटिवेशन दो तरीके के होते हैं। पहला आंतरिक (Internal) और दूसरा बाहरी (External)। जानते हैं कि दोनों क्या हैं- इंटरनल मोटिवेशन से किसी काम को करने में हमें ज्यादा मजा आता है। काम के बाद संतुष्टि मिलती है। इसके अलावा सीखने की हमारी ललक और ज्यादा बढ़ जाती है। एक्सटर्नल मोटिवेशन से किसी काम में हमारा आउटकम यानी परिणाम बेहतर होता है। जैसे- जब हम किसी परीक्षा से पहले कड़ी मेहनत करते हैं और नंबर अच्छा आ जाते हैं तो उसके पीछे हमारी एक्सटर्नल मोटिवेशन हो

बिहार चुनाव में तेजस्वी यादव ने वोट के बदले बांटे नोट, जानें वायरल वीडियो का सच

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क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें बिहार चुनाव में RJD से मुख्यमंत्री पद के दावेदार तेजस्वी यादव लोगों को नोट बांटते दिख रहे हैं। वीडियो बिहार चुनाव प्रचार का ही बताया जा रहा है। चुनाव प्रचार में नोट बांटते हुए तेजस्वी यादव 😂😂😂😂 क्या दिन आ गए 😂😂😂 pic.twitter.com/roWajI9K1c — मनीषा मिश्रा 🇮🇳टी,,ए,,एफ🇮🇳 हिंदी में नाम लिखें (@Nisha2522) October 30, 2020 और सच क्या है ? वायरल वीडियो में तेजस्वी मास्क लगाए दिख रहे हैं। साफ है कि वीडियो कोरोना काल का ही है यानी ज्यादा पुराना नहीं है। अलग-अलग की-वर्ड सर्च करने से इंटरनेट पर हमें ऐसी कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली। जिससे पुष्टि होती हो कि तेजस्वी यादव बिहार चुनाव प्रचार में वोटरों को नोट बांटते देखे गए हैं। पड़ताल के दौरान हमें तेजस्वी यादव के 31 जुलाई के ट्वीट में वायरल वीडियो से मिलता-जुलता एक वीडियो मिला। इस वीडियो में भी तेजस्वी लोगों को नोट बांटते दिख रहे हैं। यहां से हमें क्लू मिला कि वायरल वीडियो इसी साल बिहार में आई बाढ़ का हो सकता है। मेरी नहीं जनता की सुनिए। बिहार के जलस

15 साल में देश में हर आदमी की सालाना कमाई एक लाख रु. बढ़ी, पर बिहार में सिर्फ 35 हजार

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की रैलियों में जो शब्द बार-बार सुनाई दे रहा है, वो है ‘15 साल’। नीतीश लोगों को 15 साल पहले के बिहार की तस्वीर दिखा रहे हैं। अपने 15 साल की तुलना लालू के 15 साल से करते हैं। मानो इन सालों में बिहार की कायापलट हो गई हो। पर, आंकड़े क्या कहते हैं? आंकड़े कहते हैं कि बिहार आज भी देश के बाकी राज्यों से पिछड़ा हुआ है। ये आंकड़े बताते हैं कि बिहार में आज हर आदमी रोज सिर्फ 120 रुपए ही कमाता है। जबकि, झारखंड का आदमी रोज 220 रुपए तक की कमाई कर रहा। बिहार से 100 रुपए ज्यादा। सिर्फ कमाई ही नहीं, बेरोजगारी के मामले में भी बिहार, झारखंड से कोसों आगे है। यहां बिहार की तुलना झारखंड से इसलिए, क्योंकि आज भले ही बिहार और झारखंड की पहचान दो अलग-अलग राज्यों की हो, लेकिन 20 साल पहले तक दोनों एक ही तो थे। आइए 5 पैमानों पर परखते हैं कि नीतीश के 15 सालों में बिहार कितना बदला? 1. पर कैपिटा इनकमः झारखंड से भी पीछे बिहार इकोनॉमिक सर्वे और RBI के आंकड़े बताते हैं कि 15 साल में बिहार में हर आदमी की कमाई 5 गुना बढ़ी है। नीतीश जब 2005 में बिहार के मुख्यमंत्री बने थे, तब यहां हर