फ्लायर्स अनलॉक; लॉकडाउन के बाद पहली बार रोज 1.65 लाख से ज्यादा लोग उड़ान भर रहे हैं


एयरलाइंस और एयर ट्रैवल से जुड़े हर एक व्यक्ति के लिए खुशखबरी है! कोरोना की वजह से फ्लाइट्स ऑपरेशंस में जो रुकावट आई थी, वह धीरे-धीरे हटती दिख रही है। लॉकडाउन से पहले रोज चार से साढ़े चार लाख तक पैसेंजर घरेलू फ्लाइट्स में उड़ान भर रहे थे। 25 मार्च से 24 मई तक डोमेस्टिक फ्लाइट्स के ऑपरेशन बंद रहे। अनलॉक होने के बाद धीरे-धीरे फ्लाइट्स बढ़ रही हैं और पैसेंजर्स की संख्या भी।

24 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते तक के आंकड़ों को देखें तो अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से पहली बार अब तकरीबन 1.65 लाख लोग रोज उड़ान भर रहे हैं।

हर फ्लाइट में 100 से ज्यादा यात्री

एयरलाइंस में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद जिस रफ्तार में फ्लाइट्स बढ़ रही हैं, उसी के अनुसार पैसेंजर भी बढ़ रहे हैं। 25 मई को जब फ्लाइट ऑपरेशंस दोबारा शुरू हुए तो जून में प्रति फ्लाइट औसत पैसेंजर की संख्या 90 तक पहुंच गई थी। जुलाई में फ्लाइट्स की संख्या बढ़ी तो प्रति फ्लाइट औसत पैसेंजर की संख्या कम हुई और 85.9 पैसेंजर प्रति फ्लाइट पर आकर ठिठक गई। उसके बाद फ्लाइट्स और प्रति फ्लाइट पैसेंजर की संख्या लगातार बढ़ रही है। 24 अक्टूबर तक के आंकड़ों के मुताबिक, महीने में जून के 713 डिपार्चर के मुकाबले 1,551 डिपार्चर हुए। वहीं, प्रति फ्लाइट पैसेंजर संख्या भी 90 से बढ़कर 106 तक पहुंच चुकी है।

जनवरी-फरवरी के स्तर पर पहुंचने में लगेगा वक्त

अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद स्थिति तेजी से सुधरी है, लेकिन लॉकडाउन से पहले का स्तर पाने में अभी वक्त लग सकता है। डायरेक्टर जनरल सिविल एविएशन (DGCA) के आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी में 127.83 लाख पैसेंजर्स ने एयर ट्रैवल किया था। वहीं, सितंबर में यह आंकड़ा सिर्फ 39.43 लाख पैसेंजर का रहा। राहत की बात यह है कि अनलॉक के बाद हर महीने बेहतर तस्वीर सामने आ रही है।

अगस्त के आंकड़ों से तुलना करें तो सितंबर में उड़ान भरने वाले पैसेंजर्स की संख्या में 39.23% की बढ़ोतरी हुई है। जब हम पिछले साल के आंकड़े देखते हैं तो जनवरी से सितंबर तक 1,058.91 लाख पैसेंजर्स ने एयर ट्रैवल किया था। इस साल लॉकडाउन और दो महीने फ्लाइट्स बंद रहने की वजह से जनवरी से सितंबर तक कुल 440.60 लाख पैसेंजर्स ने ही एयर ट्रैवल किया है।

भारत में डोमेस्टिक एयर ट्रैवल बन रहा ग्रोथ इंजिन

एयरलाइन इंडस्ट्री की हेल्थ देखने का बैरोमीटर होता है पैसेंजर लोड फैक्टर (PLF), यानी यह देखा जाता है कि उपलब्ध सीटों के मुकाबले फ्लाइट में कितने पैसेंजर थे। इस लिहाज से भारतीय एयरलाइंस का प्रदर्शन अनलॉक की प्रक्रिया में लगातार सुधर रहा है। अगस्त 2020 में भारतीय एयरलाइन कंपनियों के PLF में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान जैसे देशों के मुकाबले काफी सुधार आया है। इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) के मुताबिक, अगस्त में डोमेस्टिक मार्केट ही रिबाउंड में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।

रूस दुनिया का पहला देश है, जिसने डोमेस्टिक एयर ट्रैवल में पिछले साल के मुकाबले तेजी दिखाई है, यानी अब वहां हालात पिछले साल से बेहतर हैं। रूस में रेवेन्यू पर किलोमीटर (RPK) पिछले साल के मुकाबले इस साल अगस्त में 3.8% ज्यादा रहा है, वहीं बाकी सभी देशों में इसमें गिरावट दर्ज हुई है। रूस के आंकड़ों में सुधार की मुख्य वजह हवाई किराये में कमी और डोमेस्टिक टूरिज्म का बढ़ना है। वहीं, ज्यादातर देशों में कोरोना को रोकने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों का असर डोमेस्टिक ट्रैवल पर दिख रहा है।

दुनियाभर में उपलब्ध सीटों पर पैसेंजर्स की डिमांड में गिरावटः IATA

IATA का कहना है कि अगस्त में दुनियाभर की एयरलाइंस की कैपेसिटी में गिरावट आई है। कुछ रूट्स पर ऑपरेशंस बढ़े हैं, लेकिन ओवरऑल स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। उपलब्ध सीट-किलोमीटर (ASK) में अगस्त 2019 के मुकाबले अगस्त 2020 में 63.8% की गिरावट आई है।

राहत की बात यह है कि ज्यादातर देशों में जुलाई 2020 के मुकाबले अगस्त में सुधार आया है। उत्तरी अमेरिका, एशिया पेसिफिक और यूरोप में एयरलाइंस ने अब कुछ हद तक रिकवरी की है। इसके बाद भी उपलब्ध सीटें ज्यादा है, उन्हें भरने की डिमांड कम।



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