लिखा- हजारों परिवार बेरोजगार; 40 लाख गरीब बच्चों को मुफ्त खाना मुहैया कराएं
कोरोनावायरस ने दुनिया भर में कोहराम मचा रखा है। कई देश आर्थिक स्थितियों से जूझ रहे हैं। कुछ देशों में हालात ठीक हुए तो कहीं दोबारा लॉकडाउन लगा दिया गया है। इस बीच ब्रिटेन के बाल रोग विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को पत्र लिखा है। उन्होंने मांग की है कि देश के गरीब बच्चों को नि:शुल्क खाने की व्यवस्था की जाए।
रॉयल कॉलेज ऑफ पीडियाट्रिक्स एंड चाइल्ड हेल्थ के 2200 डॉक्टरों ने खुले पत्र में लिखा- ब्रिटेन के ज्यादातर स्कूलों में सोमवार से छुट्टियां हो गई हैं। इस कारण देश के करीब 40 लाख बच्चों को भरपूर खाना नहीं मिलेगा। क्योंकि ये बच्चे स्कूल के खाने पर ही निर्भर हैं।
बच्चों को छुट्टी पर भेजना सही नहीं
पत्र के मुताबिक, दूसरी ओर महामारी के कारण हजारों परिवारों की नौकरी चली गई। कई परिवार आर्थिक स्थितियों का सामना कर रहे हैं। जो परिवार पहले अपना खर्च आसानी से उठा लेते थे, वे इस वक्त घंटों काम करके संघर्ष कर रहे हैं। ऐसे में बच्चों को यूं ही छुट्टी पर भेज देना सही नहीं होगा। इसलिए सरकार गरीब बच्चों के लिए पोषण युक्त खाने की व्यवस्था करे या फिर स्कूल बंद करने का फैसला पलट ले।
डॉक्टरों ने पीएम जॉनसन को लिखे पत्र में मैनचेस्टर के फुटबॉलर मार्कस रैशफोर्ड की तारीफ की। लिखा- ‘बाल गरीबी के खिलाफ रैशफोर्ड की पहल सराहनीय है। वे गरीब बच्चों को मुफ्त में खाना खिलाने का काम कर रहे हैं। उनकी इस पहल के साथ कई डॉक्टर भी जुड़ चुके हैं।’
सदन ने खारिज किया था कानून
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले हफ्ते यह मामला ब्रिटिश संसद के निचले सदन ‘द हाउस ऑफ कॉमन्स’ पहुंचा था। यहां सदन ने उस कानून को खारिज कर दिया था जो अक्टूबर से ईस्टर की छुट्टियों के दौरान मुफ्त में भोजन उपलब्ध कराने का रास्ता साफ करता।
‘कोई बच्चा भूखा न रहे’- पिटीशन पर 9 लाख हस्ताक्षर हो चुके
मैनचेस्टर यूनाइटेड के 22 वर्षीय स्ट्राइकर मार्कस रैशफोर्ड ने एक पहल चला रखी है। फुटबॉलर ने इसे नाम दिया है- ‘कोई बच्चा भूखा न रहे।’ मार्कस ने इसे लेकर जून में ब्रिटिश सांसदों को पत्र लिखा था। उनकी मांग थी- ‘सरकार स्कूल में पढ़ने वाले गरीब बच्चों को मुफ्त में खाना मुहैया कराए।’
सरकार ने इस बात पर अमल भी किया। लेकिन कुछ दिनों बाद ही फैसला बदल लिया। इसे लेकर रैशफोर्ड ने ऑनलाइन पिटीशन शुरू की है। उनके समर्थन में सोमवार तक 9 लाख लोग साइन कर चुके हैं।
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