बच्चों में कुपोषण देख पति-पत्नी ने नौकरी छोड़ बिजनेस शुरू किया, 5 से 10 रु में बेचते हैं हेल्दी स्नैक्स, हर महीने 20 लाख रु की कमाई
हरियाणा के मानेसर की रहने वाली जपना ऋषि कौशिक 2010 में अपने पति के साथ देहरादून के कुछ स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर घूमने के लिए गई थीं। उनके पति विवेक कौशिक एक स्टार्टअप फंड ऐक्सलरेटर कंपनी में जॉब करते थे। वे ग्रास रूट लेवल पर सोशल वर्क, स्किल डेवलपमेंट, मालन्यूट्रिशन और एजुकेशन जैसे प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे।
उस दौरान उन्होंने गरीब बच्चों में कुपोषण (मालन्यूट्रिशन) की समस्या देखी। उन्हें बहुत तकलीफ हुई कि देश के ज्यादातर बच्चों को जरूरी न्यूट्रिशन नहीं मिल पा रहा है। इसके बाद जपना ने तय किया कि क्यों न ऐसे किसी प्रोडक्ट की शुरुआत की जाए जिसकी कीमत भी काफी कम हो और वो उसमें जरूरी न्यूट्रिशन भी हो।
इसके बाद उन्होंने 2016 में हंग्री फोल नाम से एक कंपनी बनाई और स्नैक्स, चॉको बार, ओट्स, मफ्फीन जैसे हेल्दी प्रोडक्ट लॉन्च किए, जिसकी कीमत बेहद कम यानी 5 से 10 रु थी। अभी हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित 10-11 राज्यों में इनके कस्टमर्स हैं, 200 से ज्यादा डिस्ट्रीब्यूटर जुड़े हैं और हर महीने 20 लाख रुपए की कमाई हो रही है।
39 साल की जपना ने पंजाब यूनिवर्सिटी से फूड टेक्नोलॉजी में मास्टर्स किया है। 2004 में उनकी जॉब कोकाकोला कंपनी में लग गई। करीब 2 साल उन्होंने वहां काम किया। इसके बाद वो नेस्ले और फिर ब्रिटानिया से जुड़ गईं और अलग- अलग पोस्ट पर काम किया। 2010 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अपने पति के साथ देहरादून चली गईं।
जपना बताती हैं, ' चूंकि मैंने अलग अलग कंपनियों में प्रोडक्ट की क्वालिटी और न्यूट्रिशन को लेकर सालों तक काम किया था, इसलिए मुझे पहले से काफी चीजें पता थीं। इसके बाद भी मैंने अलग-अलग जगहों पर जाकर रिसर्च वर्क किया, जानकारी हासिल की और फिर एक छोटे से कमरे से अपने काम की शुरुआत की। बाद में जपना के पति विवेक भी अपनी नौकरी छोड़ उनके साथ काम करने लगे।
जपना कहती हैं, 'पहली बार जब हमने प्रोडक्ट तैयार किया तो सवाल था कि अब इसकी सप्लाई कहां और कैसे करें। फिर एक परिचित के जरिए दिल्ली के कुछ दुकानों से संपर्क किया। उन्हें हमारा प्रोडक्ट पसंद आया और हाथों हाथ सब बिक गया। इसके बाद तो कई जगहों से डिमांड आने लगी, दुकानदार खुद ही हमसे डिमांड करने लगे। इस तरह हमारा काम बढ़ते गया।
विवेक कहते हैं कि हम लोग किसी भी कीमत पर क्वालिटी से समझौता नहीं करते हैं भले ही बचत कम हो। क्योंकि हमने अपने काम की शुरुआत फायदे के लिए की ही नहीं थी। जो प्रोडक्ट हम तैयार करते हैं, उसका उपयोग हमलोग खुद भी करते हैं। हमारी बेटी भी वहीं प्रोडक्ट अपने लंच में ले जाती है।
क्यों खास हैं ये प्रोडक्ट्स
विवेक कहते हैं कि हम लोग पहले दिन से ही तीन चीजों को लेकर काम कर रहे हैं। एक कि हमारा टेस्ट बेस्ट होना चाहिए, दूसरा उसकी कीमत कम हो और तीसरा कि वो मार्केट में आसानी से मिलना चाहिए। हमारे प्रोडक्ट मिनरल्स और विटामिन से भरपूर होते हैं। हमारा पूरा फोकस ही एनर्जी और न्यूट्रिशन को लेकर होता है। साथ ही हम लोग हाई क्वालिटी की लेकिन बहुत कम मात्रा में प्रिजर्वेटिव यूज करते हैं। यही वजह है कि दूसरे प्रोडक्ट की एक्सपायरी 6 महीने या उससे ज्यादा की होती है, लेकिन हमारे प्रोडक्ट की एक्सपायरी 90 दिन ही होती है। इसके साथ ही हम लोग अलग-अलग राज्यों के लोगों के टेस्ट और अलग-अलग सीजन के हिसाब से प्रोडक्ट तैयार करते हैं।
जपना बताती हैं कि एक या दो चॉको बार या मफ्फीन खाने के बाद ब्रेकफास्ट की जरूरत नहीं होगी। हम कहीं ट्रेवल पर जा रहे हैं तो ये प्रोडक्ट्स अपने साथ ले जा सकते हैं।
कैसे तैयार करते हैं प्रोडक्ट्स
जपना कहती हैं, ' हम सबसे पहले इन्ग्रेडिएंट्स यानी शक्कर, मैदा, ड्राई फ्रूट्स जैसी चीजें थोक में खरीदते हैं। अलग अलग पैरामीटर्स पर सबकी क्वालिटी और न्यूट्रीशन वैल्यू की जांच करते हैं। उसके बाद हमारे यूनिट में जो मशीनें लगी हैं, उनसे ये सारे प्रोडक्ट तैयार होते हैं। वो कहती हैं कि हम एज ग्रुप के आधार पर इन्ग्रेडिएंट्स मिलाते हैं और उसके हिसाब से प्रोडक्ट तैयार करते हैं।
कम कीमत के बाद भी क्वालिटी को कैसे मेंटेन करते हैं
विवेक कहते हैं कि कीमत कम रखने के बाद भी क्वालिटी को मेंटेन कर के रखना थोड़ा मुश्किल काम जरूर है, लेकिन हम करते हैं क्योंकि यही हमारी पहचान है। इसके लिए हमने रिसोर्सेज कम कर दिए, एक ही मशीनों से कई काम लेते हैं, हमारे स्टाफ मल्टीटास्किंग वाले हैं। साथ ही सबसे बड़ी चीज है वॉल्यूम यानी कि हम ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्ट तैयार करने और उसे मार्केट में खपाने की कोशिश करते हैं।
विवेक कहते हैं,' एक लाख रुपए से हमने अपने काम की शुरुआत की थी। तब हमने स्टाफ भी कम रखे थे। आज हमारे साथ 35-40 लोग काम कर रहे हैं। हर रोज हमारी कंपनी में 20 हजार प्रोडक्ट तैयार हो रहा है। 2.5 करोड़ रु के करीब हमारा टर्नओवर है।
वो बताते हैं कि कोरोना और लॉकडाउन में हमारा काफी नुकसान हुआ। तीन चार महीने सबकुछ बंद रहा। बड़े लेवल पर हमारे प्रोडक्ट गोदामों में रह गए और एक्सपायर भी हो गए। पिछले एक महीने से धीरे- धीरे चीजें वापस पटरी पर लौट रही हैं। अब डिजिटल प्लेटफार्म पर हमारी मौजूदगी बढ़ गई है। हम पहले के मुकाबले ऑनलाइन ज्यादा सेल कर रहे हैं। अमेजन और दूसरी कंपनियों से डील भी किया है। आगे हम दूसरे देशों में भी अपना प्रोडक्ट एक्सपोर्ट करने वाले हैं।
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